तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज

तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज

तिब्बत में सातवीं शताब्दी के दौरान नरेश सांगत्सेन गम्पो के शासनकाल में तिब्बत मध्य एशिया के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य में से एक था। उस समय तिब्बत की सेना में २८,६०,०००० सिपाही थे। इस सेना के हर रेजीमेंट का अपना एक ध्वज होता था। या-रफ-तो रेजीमेंट के ध्वज में एक-दूसरे की ओर मुंह किए हुए दो हिम सिंह अंकित थे। दोनों शेर सीधे खड़े थे और गर्दन उपर की ओर उठाकर आसमान की तरफ देख रहे थे। इसी प्रकार यू-रफ रेजीमेंट के ध्वज पर लाल रंग की पृष्ठभूमि में सफेद लौ निकलता दिखता था। यह परंपरा तब समाप्त हो गई जब तेरहवें दलाई लामा ने एक नए ध्वज का प्रारूप तैयार किया और यह घोषणा की कि सभी रेजीमेंट इसे अपनाएं। वही ध्वज आज तिब्बत का राष्ट्रीय झंडा है।

तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज के प्रतीकों की व्याख्या तिब्बत के ध्वज के बीच में एक बर्फ से ढंका विशाल पर्वत बना हुआ है जो महान तिब्बत देश का प्रतीक है क्योंकि तिब्बत को बर्फीले पहाड़ों से घिरे देश के रूप में जाना जाता है।

  • ध्वज पर बने गहरे नीले आकाश में फैली हुई छह लाल पट्टियां तिब्बती लोगों के मूल पूर्वजों का प्रतीक हैं। छह तिब्बती जनजातियां से, मु, डांग, तांग, द्रु और रा के नाम से जानी जाती हैं। इन जातियों से ही बारह वंशों का उदय हुआ। छह लाल पट्टियों ;जनजातियों के लिए और छह गहरे नीले रंग की पट्टियों ;आकाश के लिए का संयोजन काले व लाल अभिभावक देवताओं की शिक्षाओं और पंथ निरपेक्ष जीवन का अविरल प्रदर्शन का प्रतिनिध्त्वि करता है, जिसके साथ तिब्बत अनादि काल से जुड़ा हुआ है।
  • ध्वज में बने बर्फीले पहाड़ों पर तेज चमकती हुई सूरज की किरणें सभी दिशाओं में पड़ती दिखती हैं। यह इस बात को प्रकट करता है कि तिब्बत की भूमि पर रहने वाले सभी लोगों को समान रूप से स्वतंत्रता, आध्यात्मिक व भौतिक खुशी और संपन्नता का लाभ मिलेगा।
    पहाड़ों के ढलान पर दो सिंह गर्व के साथ तनकर खड़े हैं, उनके पीछे निर्भयता का तेज प्रकट हो रहा है जिसका अभिप्राय यह है कि तिब्बत ने एक एकीकृत आध्यात्मिक और पंथ निरपेक्ष जीवन कायम रखने का गुण हासिल किया है। पर्वत के उपर चमकता सुंदर और कोनेदार तीन रंगों वाला रत्न तिब्बती लोगों द्वारा तीन सर्वोच्च जवाहरात, आश्रय के विषयः बुधर्धम और संघ के प्रति व्यक्त किए जाने वाले सम्मान को व्यक्त करता है।
  • दोनों सिंहों के बीच स्थित दो रंगों वाला घूमता हुआ रत्न सही नैतिक आचरण रखने के लिए लोगों के द्वारा आत्मअनुशासन का संरक्षण करने और हृदय में बनाए रखने के प्रयास को व्यक्त करता है, जो प्रमुख रूप से दस उन्नत सदगुणों और १६ मानवीय आचरण द्वारा प्रकट होता है।
  • ध्वज में सुंदर पीला किनारा भगवान बुध की शिक्षाओं का प्रतीक है, जो, परिष्कृत सोने की भांति हैं और काल व स्थान से परे हैं और फल-पफूल तथा फैल रही हैं।